Menu
blogid : 23380 postid : 1303309

प्रेम कभी हारता नहीं

happy life
happy life
  • 53 Posts
  • 5 Comments

प्रेम कभी हारता नहीं
प्रेम केवल ढाई अज्ञर का शब्द नहीं है, यह वही प्रेम है,जिससे आदमी मानव बन जाता है उसके जीवन में प्रकाश आ जाता है, उसमे एक रस सा दिखाई पड़ता है, जो अपनी ओर हमको आकर्षित करता है, हाँ वही प्रेम जो राम को था अपने परिवार से अपने पिता से तभी तो उनकी आज्ञा मानकर 14 वर्ष तक वन में भटकते रहे, वही प्रेम कृष्ण को अपने गोपियों के प्रति था, कृष्ण भगवान होकर भी अपनी गोपियों के लिये व्याकुल हो जाते थे,ये है पराकाष्ठा प्रेम की…..
कबीरदास ने कहा ढाई आखर प्रेम का पडे सो पंडित हो इसका अर्थ है जो प्रेम को जान गया वही परम ज्ञानी है, और भगवान रजनीश तो यहाँ तक कहा की प्रेम ही जीवन है, और पहला प्रेम हम सबको अपने आप से करना होगा ,क्योकि जो स्वयमं को प्यार नही कर सकता वो दुसरे को प्यार कैसे कर सकता है- प्यार या प्रेम कोई दिखाने की वस्तु नही वो आपके अन्दर की आवाज है, जो बनावटी नही होती ,उसका रूप जरुर परिवर्तित हो जाता है, पर वही आदमी अंत तहं सफल होता है,जिसके हदय में प्रेम है,यह प्रेम जाहे देश से हो,समाज से हो,परिवार से हो, किसी व्यक्ति विषेश से हो ,प्रेमी ही सफल होता है, और यदि वो सफल नही हो तो समझना चाहिये कही कमी रह गई,प्रेम बाह्य था , अन्दर बैठी आत्मा से प्रेम करो कभी भी हार नही होगी तुम हमेशा जीतोगे क्योकि प्रेम कभी हारता नही प्रेम की जीत निश्चित है यही अटल सत्य है ………
प्रवीण

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh